Sunday, 5 January 2020

बूँद भर जल बन गया 
 
बूँद बूँद भर जल बन गया, आज अनल से भी बढ़कर
निर्धन जनता को रुला रहा है, जन सम्पत्ति तहस नहस कर

जो प्रासादों में रहते हैं, उन पर चलता कोई जोर नहीं ।
जो पेट पालते सड़क किनारे, आश्रय उनके ले गया बहाकर ।।

नदियों से सांठ गांठ कर जल ने ऐसा निर्मम खेल रचा । 
रुद्र रूप ले टूटीं नदियाँ, कैसे कोई रख सके बचाकर ।।

त्राहि त्राहि हो रही असम में, मुम्बई भी छूटा नहीं अछूता ।
 उत्तर बिहार के संकट ने तो, रख दिये सभी के दिल दहलाकर  ।।

ये स्थिति नहीं मात्र इस सन की हर वर्ष यही हालत होती है ।
है जिनको हमने दायित्व दिया "श्री "वो छुप जाते हैं मुंह दुबकाकर ।।

श्रीप्रकाश शुक्ल



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