शिवम् सुन्दरम् गाती है
देश मेरा भारत ऐसा जहाँ परतीति निभाई जाती है
प्रकृति सहचरी बन पुरुषों के जीवन में रस लाती है
यहाँ विचारों की स्वतंत्रता मूलभूत अधिकार मिली है
लड़ना भिड़ना बहस परस्पर समायोजना कहलाती है
ऋतुएँ अनेक, त्यौहार अनेकों, रास रंग के ढंग विपुल,
प्रकृति कांति से हुलसित वाणी
शिवम् सुंदरम गाती है
मासों में मधुमास अकेला अनुराग मिलन के रंग भरे
भरता मधुर विरह पीड़ा जो सहज ह्रदय उग आती है
शिशिर गयी, पतझड़ बीता, तरु किसलय जब लाते "श्री"
फूली सरसों देख, कृषक जन मन में मस्ती छाती है
श्रीप्रकाश शुक्ल