यह अपनी अपनी किस्मत है
वहीं दूसरा सागर तल में पत्थर से टकरा जाता है ।।
कोई तैराक सरलता से ही, नदी पार कर जाता है ।
वहीँ दूसरा भंवर मेंं फंस कर अपनी जान गंवाता है ।।
कहते कोई कारण होगा, यह अपनी अपनी किस्मत है ।
किसी के तारे डूबे हैं, कोई रब की रहमत पाता है ।।
पर वैज्ञानिक दृष्टिकोण, इस मत को नहीं मानता.है ।
कहता कर्म, कला, कौशल का इन सबसे गहरा नाता है ।।
ग्रहदशा, हस्त रेखाएं जो किस्मत इंगित करतींं हैं ।
इक कर्मवीर उनको झुठला कर अपना मार्ग बनाता है ।।
अपने प्रिय चन्दा मामा, जो सागर मेंं हलचल करते थे।
"प्रज्ञान" आज उनके घर बैठा पल पल का हाल बताता है ।।
पुरुषों के अलावा अन्य जीव जो प्रकृति गोद मेंं पलते हैं ।
किस्मत की बदौलत उनके जीवन मेंं अन्तर ख़ास नहीं आता है ।।
हां, किस्मत को कारक कहने से शान्त्वना भाव मन आता है ।
पर ये केवल मन का भ्रम है, कारण सही न मिल पाता है ।।
जो किस्मत पै भरोसा रखना चाहेंं, रक्खेंं कोई हर्ज़ नहीं।
पर पुरज़ोर कर्म करने मेंं ही "श्री" जीवन का सुख आता है ।।
श्रीप्रकाश शुक्ल
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