Monday 5 February 2018

प्यार के रंग में 

जिंदगी में शांतता का प्यार ही आधार है 
प्यार बिन संसार में हर भाव ही निस्सार है 

प्यार के रंग में जो डूबा भूलकर शिकवे सभी  
फूल है उस चमन का जिसमें सदा बहार है 

अभिव्यक्ति में यदि हो समाहित सभ्यता शालीनता,
स्वच्छंदता से बोलने का सभी को अधिकार है 

रोक पाया जो न आंसू देखकर आँखें सजल 
जिंदगी का हर निमिष उसके लिए उपहार है 

विद्वता अधिकांशतया दर्प को "श्री" जन्म देती 
पनपने से पहले कुचलना विद्वता का सार है 

श्रीप्रकाश शुक्ल 

No comments:

Post a Comment