Monday 5 February 2018

बड़ी दूर का संदेशा

बड़ी दूर का संदेशा ये, डाल रहा मुझको मुश्किल में
नहीं चाहिए मन्दिर मस्जिद, मैं तो रहता हर दिल में 

क्यों आपस में लड़ते हो बिन कारण सब मेरी खातिर
मन्दिर में कोहराम बहुत है, सूना लगता है मस्जिद में 

मैं भाव विभोर हो जाता हूं जब सद्भावना दिवस मनता
हैं कितने अच्छे लगते सब, गलबाहें डाले चहल पहल में 

क्यों बांध रहे हो प्रासादों में, जहां मेरा दम घुटता है 
मुझको भजन सुहाना लगता जब गूंजे वो महफ़िल में 

सच्चा सरल भक्त जो मेरा सदा साथ मेरे रहता "श्री"
बौद्धिक,मुल्ला और पादरी ज़बरन रखें मुझे सांकल में 


श्रीप्रकाश शुक्ल 



No comments:

Post a Comment