कितनी बार जलाये
कितनी बार जलाये हमने ब्रम्हरूप दीपक घर मेंं
तिमिर विनाशक, तेज विवर्धक, शान्ति प्रदायक उर मेंं
प्रभु- पूजा, आराधन मेंं दीपक इक आवश्यक अंग है
बुरी शक्तियों का प्रवेश रहता असफल, दिव्य शक्ति के डर मेंं
दीपक प्रतीक है ज्ञान ज्योति का, प्रेरणा सदा यह देता है
निष्क्रिय कर लो अज्ञानी तम, पुरुषार्थ शस्त्र लेकर कर मेंं
प्रज्वलित ज्योति फैलाती है, सकारात्मक ऊर्जा चंहुदिश,
कलुष प्रदूषण बह जाता है जैसे बहता खर निर्झर मेंं
हर्षोल्लास के मौके पर भी दीपक इक सार्थक प्रतीक है
भूतल को करता प्रकाशमय, आभा नव बिखरेता अम्बर में
दीपक मेंं अग्नि देव रहते "श्री" जो धर्मपुत्र कहलाते है
दीपक से मिलती सभी शक्तियाँ जो हम पाते हैं दिनकर मेंं
श्रीप्रकाश शुक्ल
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