Saturday 15 December 2018

मेरी पूजा की थाली में

प्रभु पूजा, दिव्य साधना है
अपने अन्तस के शुध्दिकरण की
तन, मन कृतित्व.यदि साफ रहेंं
तो वांछित परिणाम सरस होंगे

जग मेंं गतिविधियाँ रहस्यमयी
संभव, मानव कुछ समझ भी ले
पर भीषण दैवीय प्रकोपों के
सन्मुख हम सभी विवश होंगे

मेरी पूजा की थाली मेंं
हो सकता बहुमूल्य द्रव्य न हों
पर भक्तिभाव, श्रद्धा से पूरित
उर के उदगार अवस होंंगे

कल्पना, जगत के मालिक की
हो सकता महज़ कल्पना हो
पर उसके आराधन के फलीभूत
मन उर्ज्वसित, शुभ्र दिवस होंगे

पूजा से अहं नष्ट होगा
मन असीम ढ़ाढ़स पायेगा
होगा आभास सहारे का "श्री"
अवसाद, तनाव निरस होंगे

श्रीप्रकाश शुक्ल





















 

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