Saturday 15 December 2018

जग के हित रहने मेंं

जग के हित रहने मेंं, जीवन मेंं सुख  का उदभव होता है
आत्म, शान्ति शीतलता पाता, आह्लादित मन होता है

जीवन मेंं ढूंढा करते सुख, धन, परिवार, सौख्य साधन मेंं
पर सच्चा सुख निहित सदा,परहित पुरुषार्थ
 में होता है

प्रकृति हमें बतलाती है पर उपकार श्रेष्ठतम गुण है 
प्रथ्वी नदी बृक्ष का सब कुछ औरों के हित होता है 

मनसा वाचा और कर्मणा, मंगल साधन जग के हित है
सर्वेभवन्तुसुखिनःसे प्रेरित उर, जग मेंं सुयश संजोता है 

केवल अपना स्वार्थ साधना पशु प्रवृत्ति की द्योतक है
जग हित मेंं अर्पित  मानव "श्री" जन जन का प्यारा होता है ।

श्रीप्रकाश शुक्ल

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