पूजा क्या ,किसकी और क्यों?
मेरी पूजा की थाली में
पूजा लौकिक विधि धरती पर
स्तुति कर कृतज्ञता दर्शाने की
उनके प्रति, जिसको सत्कर्मों से,
निष्ठा,भक्ति मिली जमाने की
पूजा का पात्र वही होता है
जिस पर श्रद्धा होती है
श्रद्धाभाजन है वो शक्तिकेन्द्र
जिसको हठ क्लेष मिटाने की
मेरी पूजा की थाली मेंं
मणि मुक्ता हीरे भले न हों
पर भक्तिभाव से चुने द्रव्य
मेंं, होगी शक्ति मनानै की
पूजा में बहे नदी आदर की
प्रेम का सागर लहराता हे
दोनों में निहित भाव अर्पण
का, रखता सामर्थ रिझाने की
रूप पूज्य के आदर्शो का, स्वयं
बिखरता, उसके खुद के कर्मतन्तु से,
मिलकर, उठ बन मेघपुष्प "श्री"
ऋतु लाता खुशियाँ पाने की
श्रीप्रकाश शुक्ल
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