हंदवारा के वीरों की याद में
चलो कुछ गुनगुनाएं हम
तुम कहते चलो कुछ गुनगुनाएं हम
पर गला हमारा रुंंधा पड़ा है
देख रहा हूँ चिर निद्रा में,नील गगन के धवल सितारे
लिपटे हुये तिरंगे में भारत माँ के वीर दुलारे ।
छद्म भेड़ियों को निपटाने कूद पड़े जो निपट अकेले,
रग रग में शोणित उबल रहा पर हाथों में ताला जकड़ा है ।।
तुम कहते चलो कुछ गुनगुनाएं हम,
पर गला हमारा रुंधा पड़ा है
कल्पनातीत है, जब सारा जग एक गहनतम संकट मेंं है,
पल पल कराह की आवाजें हैं और निराशा घट घट में है।
देश पड़ोसी ,धूर्तता पूर्ण गति विधियों पर जब है हावी,
मानवता को भूल भुलाकर दुष्कर्मों पर निड़र अड़ा है।।
तुम कहते, चलो कुछ गुनगुनाएं हम
पर गला हमारा रुंंधा पड़ा है
युगों युगों के शोर्य, वीरता आज हमें ललकार रहे हैं,
शान्ति अहिंसा पथ दृढता को,
कापुरुषी कह फटकार रहे हैं।
अब न और देरी सम्भव है, जगवाले अब तांड़व देखेंगे
अन्यायी को दंड़ित करना श्रेष्ठ धर्म है, ऐसा हमने पाठ पढ़ा है ।।
श्रीप्रकाश शुक्ल
Santosh Bhauwala santosh.bhauwala@gmail. |
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