मार्ग से परिचय नहीं है
तूफान ज़िद पकड़े हुये है, नाविक विवस लाचार है ।।
इन्सान घवराया हुआ इन्सान से ही ड़र रहा ।
नजदीकियां घातक दिखें, दूरियों से प्यार है ।।
जन आपदा की इस घड़ी मेंं देश सारा साथ है ।
सामर्थानुसार प्रत्येक जन सहयोग को तैयार है ।।
सागर से विस्तृत देश मेंं हैं पल रहे, अपवाद कुछ,
जिनकी, निजी कुछ कारणों से मनुजता वीमार है ।।
वैश्र्विक इस व्याधि से "श्री" सारे जगत मेंं कहर है ।
फैलाव इसका रोकना ही, मात्र इक उपचार है ।।
श्रीप्रकाश शुक्ल
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