धूप छांह होंने वाले
जीवन केवल संगीत नहीं है इसका वोध कराते है ।।
निशा अमावस की भी जीवन मेंं नितान्त आवश्यक है।
तभी चांद दिखाई देता, तारे तभी मुस्कराते हैं ।।
जीवन का ध्येय आत्म उन्नति है जिसका साधन मात्र कर्म है।
जीवन नौका पाती मंजिल जब नाविक सही मार्ग जाते हैं ।।
जिसको कांटा चुभा नहीं, वो कैसे समझे दर्द शूल का ।
अपनी बीती से ही हम, अपनी समझ बढ़ाते हैं ।।
अगर अंधेरी रात है "श्री,"तो दिवस उजेला आयेगा ही ।
जो इस विश्वास को धारण करते कमी नहीं पछताते हैं ।।
श्रीप्रकाश शुक्ल
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