Thursday, 14 May 2020

चढ़ाये मैंने जब कुछ स्वर

चढ़ाये मैंने जब कुछ स्वर, कहा शारदे इतना तो उपकार करो
भक्ति भाव से अर्पित मेरी स्तुति मां स्वीकार करो

जीवन बीता नीरवता मेंं ज्ञान ध्यान से दूर रहा
शब्दों मेंं माधुर्य नहीं है रूखा अवगुंठन अंगीकार करो

पुजापा कुछ भी साथ नहीं लाया खाली हाथ चला आया हूं
पर मैं दास आपका हूं, इतना तो एतवार करो

नहीं चाहता धन दौलत मैं, केवल कृपा कांक्षी हूं
वरद हस्त रख शीश हमारे निष्ठा का संचार करो

मैं बन्दी हूं ऐसे घर मेंं, जहाँ चारो ओर अंधेरा है 
है आस टिकी मां ंंतेरे ऊपर बिसराओ या प्यार करो ।

श्रीप्रकाश शुक्ल

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