मैंने तो बस इतना
ख्याल पूर्णत अव्यवहारिक है जो तूने वरण किया है
तुमने सोचा प्रथ्वी पर इक ऐसी मू्र्ति सजाकर रख दूं
प्रेम सहित जीवन यापन का जिसने संकल्प लिया है
पर पैदा कर स्वच्छंद छोडना बिल्कुल पर्याप्त नहीं है
बहुधा कुमार्गगामी लोगों ने सबका अहित किया है
अगर आप भू तल पर होते तो फिर ठीक.समझ पाते
किस तरह विविध जिल्लत का जीवन लोगों ने यहां जिया है
हमने यहाँ सर्वसम्मति से अब निर्णय ये कठिन लिया है
अपना पथ खोजेंगे खुद "श्री" मान्य नहीं तुमने जो हमें दिया है ।
श्रीप्रकाश शुक्ल
No comments:
Post a Comment