Wednesday 29 August 2018

मैंने तो बस इतना 

मैने तो बस इतना ही कह तुमको आगाह किया है
ख्याल पूर्णत अव्यवहारिक है जो तूने वरण किया है

तुमने सोचा प्रथ्वी पर इक ऐसी मू्र्ति सजाकर रख दूं
प्रेम सहित जीवन यापन का जिसने संकल्प लिया है 

पर पैदा कर स्वच्छंद छोडना बिल्कुल पर्याप्त नहीं है 
बहुधा कुमार्गगामी  लोगों ने सबका अहित किया है

अगर आप भू तल पर होते तो फिर ठीक.समझ पाते  
किस तरह विविध जिल्लत का जीवन लोगों ने यहां जिया है 

हमने यहाँ सर्वसम्मति से अब निर्णय ये कठिन लिया है 
अपना पथ खोजेंगे खुद "श्री" मान्य नहीं तुमने जो हमें दिया है ।

श्रीप्रकाश शुक्ल

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