Thursday, 30 August 2018

खिली धूप की चादर

कुछ पल लगा छटा कोहरा है खिली धूप की चादर 
पर तुरन्त ही आकर घेरा, आसुरी अंधेरों ने छाकर

जो दावा करते रहे देश के चौकन्ने सेवक होंने का
मलते हाथ दिख रहे हैं, वो अपने को सोता पाकर

मिलकर गला काटने का भी अपना एक तरीका है
दाने डालो, पास बुला लो, छुरा भौंक दो पीछे जाकर

अब तो साफ नजर आता है ऐसे देश नहीं चल सकता
दंड विधायें हों जो रख दें, दुराचारियों को दहलाकर

मात्र एक साधन है अब "श्री", चोरों को सबक सिखाने का
नीलाम करो इज्जत बाजार में, जिल्ल्त से जो रखी जुटाकर 


श्रीप्रकाश शुक्ल

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