Thursday 30 August 2018

काली सूरत धब्बे वाली

प्यारी सी मां, काली सूरत धब्बे वाली ओढ़ चुनरिया चली कहाँ 
राह जोहते, कब से बैठे, बांंध टक टकी , तेरे सारे भक्त यहाँ 

जब तू आती, खुशियां लाती, चंचल मन  बन एक पखेरू उड़जाता 
अंतस हर्षाता, रूह पा जाती, जग की सब से शीतल मधुर ठहाँ 

 दुष्ट संहारे, भक्त उबारे  कितने ही तू ने निष्काम भाव से 
जो पापों मे फंसा,  दग्ध  हो रोया, पा गया शांति तेरे दमों की छहाँ 

सिंहवाहिनी, शक्तिशालिनी, कष्टहारिणी भव भय भंजनि तू है 
धरती पावन होती,धान्य उगाती,पग रज पड जाये तेरी जहाँ ।

नवरूपों वाली, बहुफल दायी, तन मन धन सुख दायी है तू "श्री " 
भक्त तेरे, निष्कपट भाव से, जहाँ बुलाते, जाती है तू पहुंच वहाँ ।

श्रीप्रकाश शुक्ल 

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