वही बीता हुआ पलचैन से सोने न देता बस वही बीता हुआ कलउलझनें वो ही सुझाता था न कोई जिनका हलजिंदगी थी राह पर, पर उलझनें कुछ पाल लींशूल सी चुभतीं रहीं, पर जिन्हें था छोडना मुश्किलआज कितने वर्ष बीते पर न कल ने साथ छोड़ाअश्रु जल से सिक्त कर, हर ख़ुशी करता विफलऔचित्य क्या डूबे हुए हम, आज भी बीते क्षणों मेंक्यों न गुजरे कल को भूलें और करें अगला सफलबुद्धि का संबल लिये विगत को जो भूलता "श्री"वो मनीषी स्वयं और सारा जगत करता विमलश्रीप्रकाश शुक्ल
Wednesday, 29 August 2018
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