Wednesday, 27 January 2021

 रखों  के  देवालय


नव यौवना बधू जब, घर में पहला कदम बढ़ाती है
पुरखों के देवालय मेंं जा, अपना शीष नवाती है
ये परम्परा सदियाँ से, भारत में चलती आयी है
हर अभिभावक और पुत्री ने, स्वेच्छा से अपनायी है

देवालय में दृढ़ स्थित हैं, युग युग से पलते संस्कार 
सब से प्रेम भाव रखना, सुशिष्ट और 
सुन्दर विचार
साथी समाज के प्रति, अपने कर्तव्यों को अपनाकर
मातृभूमि की रक्षा में कर सकना, अपना जीवन निसार

घर के अन्दर देवालय होना, बढ़े गर्व की बात है
सदव्यवहार, सादगी, साहस पुरखोंं की सौगात है 
हम स़कल्पित जीवन भर " श्री" यह
भेंट सदा आदर्श रहेगी
जब हम होंगे  विश्व गुरू यह शिक्षा अपनी बात कहेगी 

श्रीप्रकाश शुक्ल

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