तमस से लड़ रहा
जो तमस से लड़ रहा है,
ज्ञान का दीपक जलाकर
वो सदा आनंदमय है
आसुरी वृतियाँ मिटा कर
सच के समर्थन में कभी,
मुड़कर नहीं हम देखते
टूट जायेंं भले ही, पर
न झुकते अंश भर
यदि कोई सोचे, डरा कर
साहस हमारा छीन लेगा
तो जान ले, हंसते हैं हम
मौत को समकक्ष पाकर
जब समस्याएं सामने
आती हैं जुटकर ढ़ेर सी
इक ज्योति सी उठती है
मन, हौसला होता प्रखर
कर लो प्रतीक्षा और थोड़ी
समय न्यायाधीश होगा
दूर अब वो दिन नहीं "श्री"
आग बरसेगी धरा पर
श्रीप्रकाश शुक्ल
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