तमस से लड़ रहा
प्रकृति नटी ने आज रूठ, ऐसा परिदृश्य दिखाया है
जो निश्चित ही कल्र्पनातीत सारा जग घवराया है
सोच जन्य व्याधियां जगत की पहले से भी ढ़ेरोंं थीं
अव शारीरिक व्यथा रूप, रक्तवीज सा उग आया है
सारा धनवन्तरि समूह, जो तमस से लड़ रहा निरन्तर
नैराश्य ओढ़े पस्त है बृह्मास्त्र नहीं बन पाया है
मानव संकल्पों से वैसे तो घोर अंधेरे हारे हैं
पर स्वाभाविक है मन के कौने मेंं छुपा हुआ ड़र का साया है
चिन्ता नहीं तनिक भी "श्री" इन दैविक व्यवधानों की
चिन्ता उसकी करनी, जिसने
दुश्मन गले लगाया है ।
श्रीप्रकाश शुक्ल
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