skip to main
|
skip to sidebar
Bikhari Anubhutiyan
Saturday, 15 August 2020
तुम
निरन्तर
बुझ
रहे
हो
यदि केवल
खुद से प्यार है
सुन्दर सम्मति
अस्वीकार है
बिन कारण ही
उलझ रहे हो
तुम निरन्तर
बुझ रहे हो
ज़िद ने पुरजोर
जकड़ रक्खा है
"मैं'' ने मन को
पकड़ रक्खा है
कस्दन बन
बेसमझ रहे हो
तुम निरन्तर
बुझ रहे हो
श्रीप्रकाश
शुक्ल
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Followers
Blog Archive
►
2022
(14)
►
June
(1)
►
April
(13)
►
2021
(28)
►
December
(19)
►
January
(9)
▼
2020
(54)
▼
August
(8)
तमस से लड़ रहाजो तमस से लड़ रहा है,ज्ञान का दीपक जल...
तमस से लड़ रहाप्रकृति नटी ने आज रूठ, ऐसा परिदृश्य ...
ख़ालीपन निशब्द घरों मेंंयुद्ध की भयावहता से परिचित...
घर बापसीचारौ ओर भरा था ख़ालीपन निशब्द घरों
Shriprakash Shukla <wgcdrsps@gmail.com>
एक अपरिचय के आंगन मेंजब खुशियों का सागर उमड़ा हो र...
एक नवगीतकहाँ आगये चलते चलते और कहाँ था जाना भूल ग...
तुम निरन्तर बुझ रहे होयदि केवल खुद से प्यार है सु...
►
May
(18)
►
January
(28)
►
2019
(19)
►
May
(19)
►
2018
(72)
►
December
(18)
►
August
(19)
►
February
(35)
►
2017
(9)
►
January
(9)
►
2016
(45)
►
November
(3)
►
September
(7)
►
July
(1)
►
May
(7)
►
April
(11)
►
January
(16)
►
2015
(20)
►
July
(13)
►
January
(7)
►
2014
(34)
►
November
(9)
►
July
(10)
►
April
(10)
►
March
(5)
►
2013
(49)
►
December
(6)
►
October
(11)
►
August
(6)
►
July
(5)
►
June
(1)
►
May
(4)
►
April
(6)
►
March
(2)
►
February
(8)
►
2012
(35)
►
December
(2)
►
November
(7)
►
September
(4)
►
July
(1)
►
June
(4)
►
May
(4)
►
April
(5)
►
February
(4)
►
January
(4)
►
2011
(28)
►
December
(1)
►
November
(3)
►
October
(2)
►
September
(4)
►
August
(3)
►
July
(4)
►
June
(1)
►
May
(3)
►
April
(4)
►
February
(2)
►
January
(1)
►
2010
(46)
►
December
(3)
►
November
(1)
►
October
(5)
►
September
(3)
►
August
(5)
►
July
(4)
►
June
(25)
About Me
wgcdrsps
वंदन उस आराध्य का,महिमा अगम अपार | वरद हस्त हो शीश पर विनसे कलुष विकार || करूँ याचना कृपा की,निर्मल करो स्वभाव | दंभ,दर्प,अभिमान तज,उपजे मन सद्भाव ||
View my complete profile
No comments:
Post a Comment