क्या करोगे अब बनाकर
क्या करोगे अब बनाकर चित्र मेरी जिन्दगी का
हर प्रष्ठ ही कालिख भरा, गिरवी रहा जो किसी का
खुबसूरती खुद नारि की सबसे बड़ी दुश्मन रही
केन्द्र चाहत का बनी ऐसा न जिस पर बस किसी का
आज मैं भी "Me Too" कह कर, यदि सडक पर उतर आऊँ
तो क्या बापिस पा सकूंगी, हर पल जो खोया चैन जी का
कितनी असह थी वेदना, जब किसी ने ज्यादती की
और मैं बस चीखती, सहती रही,परिणाम अपनी बेबसी का
मैं अगर बनकर "किरण " "उस अकबर का सीना तोडती "श्री"
तो आज फिर इस जगत मेंं, नारी न खाती भय किसी का
संदर्भ: किरण सती ने अकबर की छाती पर चढ़कर मीना बाजार बन्द करवाया था ।
श्रीप्रकाश शुक्ल
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