चाँद सपना देखता है
दाग दामन पर लगा जो वो सदा को छूट जाये
दाग तो लगते रहें हैं राम को घनश्याम को भी
पर दाग जो जनहित लगे वो सभी को राज आये
गलतियाँ हो जायें तो इन्कार मत करना कभी
एक छोटी भूल ही विश्वास जग का डिगा जाये
यद्यपि गुनाही देखने को दिल का दर्पण ठीक है
बिरला ही वो इंसान है जो कि सच को देख पाये
"श्री"बंधु बस तू दमकता रह खूबियाँ अपनी सॅंजोए
दाग की क्यों फ़िक्र करता जब सुधारस यों लुटाये
श्रीप्रकाश शुक्ल
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