Friday 14 November 2014

चाँद सपना देखता है

 चाँद सपना देखता है काश वो दिन कभी आये 
 दाग दामन पर लगा जो वो सदा को छूट जाये  

  दाग तो लगते रहें हैं राम को घनश्याम को भी 
 पर दाग जो जनहित लगे वो सभी को राज आये  

 गलतियाँ हो जायें तो इन्कार मत करना कभी 
 एक छोटी भूल ही विश्वास जग का डिगा जाये 

 यद्यपि गुनाही देखने को दिल का दर्पण ठीक है 
 बिरला ही वो इंसान है जो कि सच को देख पाये 

"श्री"बंधु बस तू दमकता रह खूबियाँ अपनी सॅंजोए 
दाग की क्यों फ़िक्र करता जब सुधारस यों लुटाये 

श्रीप्रकाश शुक्ल 

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