Sunday 18 September 2016

हमारे पास भी 

है तुम्हारे पास जो कुछ, जिसका तुम्हें अभिमान है 
वो हमारे पास भी समुचित, इतना मुझे भी भान है  

मेरे मौन, धीरज को, मेरी तनुता समझना भूल है 
कहना मुझे असहाय अबला नारी जाति का अपमान है 

पांच तत्वों से बनी इस सृष्टि का नारी ही छटवां तत्व है
जिसका संरक्षण, जनन में अनुपमित अनुदान है 

बहुतेरी परीक्षा दे चुकी, अब और आशा व्यर्थ "श्री "
दे दो उसे अधिकार उसका, जिसका उसे स्नज्ञान है  

बदल डालो मानसिकता, कलुषता जिसमें समाहित 
नारीत्व का नेतृत्व ही, सुविकसित देश की पहचान है 

श्रीप्रकाश शुक्ल 

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