हमारे पास भी
है तुम्हारे पास जो कुछ, जिसका तुम्हें अभिमान है
वो हमारे पास भी समुचित, इतना मुझे भी भान है
वो हमारे पास भी समुचित, इतना मुझे भी भान है
मेरे मौन, धीरज को, मेरी तनुता समझना भूल है
कहना मुझे असहाय अबला नारी जाति का अपमान है
कहना मुझे असहाय अबला नारी जाति का अपमान है
पांच तत्वों से बनी इस सृष्टि का नारी ही छटवां तत्व है
जिसका संरक्षण, जनन में अनुपमित अनुदान है
जिसका संरक्षण, जनन में अनुपमित अनुदान है
बहुतेरी परीक्षा दे चुकी, अब और आशा व्यर्थ "श्री "
दे दो उसे अधिकार उसका, जिसका उसे स्नज्ञान है
दे दो उसे अधिकार उसका, जिसका उसे स्नज्ञान है
बदल डालो मानसिकता, कलुषता जिसमें समाहित
नारीत्व का नेतृत्व ही, सुविकसित देश की पहचान है
नारीत्व का नेतृत्व ही, सुविकसित देश की पहचान है
श्रीप्रकाश शुक्ल
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