ढूंढती मुस्कान मेरी, नयन भर ममता का सागर
माँ तू विस्मयजनक रचना, धन्य हूँ मैं तुझे पाकर
माँ तू विस्मयजनक रचना, धन्य हूँ मैं तुझे पाकर
माँ तू विधि की अवतरित प्रतिमा, माँ तू मेरी जान है
भेजा गया तुझको धरिण पर, संरक्षिका मेरी बनाकर
भेजा गया तुझको धरिण पर, संरक्षिका मेरी बनाकर
मेरे चेहरे की उदासी , बहते तेरे आँसू बताते
जब भी पूछा हाल तेरा,हँसती रही तू सच छुपाकर
जब भी पूछा हाल तेरा,हँसती रही तू सच छुपाकर
कब तक तलक रक्खेगी मां तू मुझको कंधे से लगा ?
ले जाता नहीं जब तलक तू, अपने कंधे पर उठाकर
ले जाता नहीं जब तलक तू, अपने कंधे पर उठाकर
जैसे लड़ती एक चिड़िया, पृथुल, लिप्तक व्याल से "श्री"
वैसे ही तू व्याधियों से झगड़, रखती रही मुझको बचाकर
श्रीप्रकाश शुक्ल
वैसे ही तू व्याधियों से झगड़, रखती रही मुझको बचाकर
श्रीप्रकाश शुक्ल
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