होली अपने देश की
देख नज़ारा रंग विरंगी लगे कोसने अपने भाग
बोले अरे यहाँ पर तो हर कोई अपना लगता है
रंग किसी के ऊपर फेंको हंस कर स्वागत करता है
तब तक एक बालिका ने भरी बाल्टी पानी लेकर
उन चारों के ऊपर फेंका लगे नाचने रंग धोकर
ऐसी मस्ती की तो नहीं कल्पना की जा सकती थी
आत्मीयता अनजानों से बिन छुए कहाँ रह सकती थी
भारत मात्र देश ऐसा त्यौहार जहाँ ह्र्द्यों को जोड़ें
सारे शिकवे गिला भुला वैमनस्य आपस का तोड़ें
सारे मानव एक रंग में रंग कर त्यौहार मानते हैं
अल्ला ईश्वर साईं ईशा सम भाव से पूजे जाते हैं
श्रीप्रकाश शुक्ल
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