Sunday 29 May 2016

अश्रु बहाने से न कभी

अश्रु बहाने से न कभी, बिगड़े हालात सुधरते हैं 
जो हरदम झूठ बोलते हैं, वो फिर कहाँ सुधरते हैं 

सत्यता सिद्ध करने पर भी, सुनने को तैयार नहीं  
ऐसे नापाक पडोसी हैं, तो बात ही हम क्यों करते हैं 
 
आतंकी घुसने का इल्जाम फरेबी कहते हैं, नहीं पता
भारत के वीरों के हाथों, निर्दोषी कभी नहीं मरते हैं 

शांति, प्रगति एवं समृद्धि, साझा दृढ़ लक्ष्य हमारा है  
इसको हासिल करके रहेंगे, हम पूरा पूरा दम भरते हैं 
 
कदम उठ चुके आगे जो, वो कभी न पीछे लौटेंगे "श्री" 
जो साहस बटोर भिड़ते हैं वो, नामुमकिन मुमकिन करते हैं    
 
श्रीप्रकाश शुक्ल 

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