मंगल गान : स्वर्णिम सालगिरह अरोरा दम्पति
श्री जयराज और निर्मल दम्पति का, आज मधुर स्वर्णिम आबंधन
मन मयूर नाचत आनंदित, थिरक थिरक करता अभिनंदन
हँसते हँसते समय विताया, जीवन में कोई शिकवा न गिला
जब बगिया के फूल महकते हो, ऐसा क्यों तब होता न भला
अब यही कामना करते हैं जीवन की बगिया हरी रहे
पग पग पर आ खुशियां बिखरें ये जोड़ी यूं ही सजी रहे
महफूज़ रहें जीवन के पल दुनिया की सभी बलाओं से
दोनों का साथ रहे सज्जित शशिधर की विविध कलाओं से
आज हम सभी भावी जीवन की यही मनौती मना रहे
जोड़ी रहे सातवें नभ पर प्यार अपरिमित बना रहे
जीवन की बगिया में, निश दिन ही आये नव बहार
साथ स्वजन परिजन का, रहे लुटाता अतुलिट प्यार
मंगल कामनाओं सहित
शुक्ल परिवार
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