Tuesday 22 April 2014

पूज्य भाई जी के चौथे निर्वाण दिवस पर श्रद्धा सुमन 

हर सितम्बर माह में आबाज़ इक  गूंजती गूंजती 
बन्धुओ मिलकर रहोमिलकर रहोमिलकर रहो  

भौतिक सुखों की चाह का अंत कोई भी नहीं 
पाओगे जितना हीउतना लोभ बढ़ता जाएगा, 
संभव नहीं तुम कर सकोगेलालसा मन की सफल 
शांति मन की दूर होगीहाथ कुछ  आयेगा

हर सितम्बर माह में आवाज़ इक  गूंजती, गूंजती,  
पंथ सेवा का गहोपरमार्थ का ही पथ गहो 

जीवन डगर है बहुत मुश्किलअडचनें पग पग खड़ी  
पार कर लोगे अकेलेये तुम्हारी भूल है
साथ ले सब को चलोगेरास्ता कट जाएगा 
सोच आधारित अहम् परसर्वथा निर्मूल है  

हर सितम्बर माह में आवाज़ इक  गूंजती, गूंजती, 
साथियो मिलकर चलोमिलकर चलो मिलकर चलो 

आवाज़ ये उसकी नरों मेंजो रहा उत्तम सदा, 
काम औरों का रहाअपने से बढ़कर सर्वदा  
भाव सेवा का समेटेजो सिमट कर खुद रहा 
आज उसको ह्रदय मेरानमन शत शत कर रहा 

हर सितम्बर माह में आबाज़ इक  गूंजती गूंजती 
बन्धुओ मिलकर रहोमिलकर रहोमिलकर रहो  

                               समस्त परिवार   
                              २१ सितम्बर २०१३ 

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