Friday, 29 April 2022
देवों ने धर्म भुलाया है
चढ़ते हुए सूर्य को ही, हम सब ने अर्ग्य चढ़ाया है
यशोधरा के वलिदानों को, नहीं किसी ने गाया है
लक्ष्मण की पत्नी का, अधिकांश नाम तक नहीं जानते,
धन्य्वाद कवि श्रेष्ठ गुप्त का, जो परिचय करवाया है
तुलसीदास महाकवि हैं, भक्त प्रवर आराध्य राम के
पर वो केवल हुलसी थी, जिंसने सदमार्ग दिखाया है
उपदेश अनेकों देते हैं, धर्मानुकूल आचरण वरण का
पर स्वार्थसिद्धि के हेतु, अनेकों देवों ने धर्म भुलाया है
जग की ऐसी रीति रही 'श्री' सभी प्रशंसक रहे शक्ति के
शांत भाव, जन सेवा रत जो, अनगाया मुरझाया है
श्रीप्रकाश शुक्ल
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