Wednesday 21 January 2015

सृजनकार का वन्दन 

तू  है रचनाकार  जगत का  तू  ही  है पालन करता  
निर्विकार अरु निराकार तू  मात पिता तू  ही  भरता  
कहते  हैं  तुझे  समी, आदिल,  राज़िक़, ज्ञाता, बसीर 
ये खूबियाँ सभी तेरी हैं तू हर आदम का जमीर 
(समी : सुननेवाला, आदिल: न्याय करनेवाला, राज़िक़: रोज़ी देनेवाला,बसीर : देखनेवाला )

सबका मालिक एक तू ही है, कोई समझ न पाता  
तेरी कृपा दृष्टि पाकर सब दुःख छूमंतर हो जाता  
तू ही मार्ग दिखाता सच्चा, तू ही विधि का निर्माता  
ईशदूतत्व रचे तूने, जिनसे इन्सान हिदायत पाता 

सद निष्ठा से, उपकृत होकर, ऐसे सृजनकार का वन्दन  
केवल वांछित नहीं, जरूरी है, चाहो जो नैसर्गिक बंधन 
विश्वास आस्था औषधि हैं, जो आचरण संतुलित करते 
आचरण संतुलित हो तो फिर सुखिया सारे दिवस गुजरते   
 
श्रीप्रकाश शुक्ल 

ईशदूतत्व: ईश्वर ने हर एक के लिए कुछ सिद्धांत व नियम बनाए। इन्सान ईश्वर की अनुपम सृष्टि है, इसलिए उनकी हिदायत व रहनुमाई के लिए एक प्रणाली बनाई, जिसे ईशदूतत्व कहते हैं।

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