Tuesday 6 August 2013

गंगे तुम को शत शत प्रणाम 

जटा छोड़ तुम भोलेश्वर की उतर धरा पर आई 
साठ सहस्त्र सगर पूतों की तुम थी जीवनदायी  
जीवन के अंतिम पल में तेरी एक बूँद मुंह पाकर 
पाते रहे स्वर्ग का आश्रय अनगिन पाप मिटाकर 
मन हर्षित होजाता है पाकर तेरे दर्शन अभिराम 
गंगे तुम को शत शत प्रणाम 

उद्गम से सागर तक तूने पथ ऐसा अपनाया 
आँचल बसे करोड़ों जन ने जीवन संबल पाया 
पर कृतघ्न हम ऐसे भारी भूल गये तेरा संमान 
फेंक कालिमा आँचल में करते रहे सदा अपमान   
माँ तेरा अपराधी हूँ मैं त्राहि माम् माँ त्राहि माम 
गंगे तुम को शत शत प्रणाम 

 श्रीप्रकाश शुक्ल 

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