Friday 15 June 2012

मुक्तिका ०५७  

दिल का प्यार समझना है, तो आँखों की चितवन देखो 
दर्द  मापना है दिल का, तो पलकों की छलकन देखो  
 
लाज भरी आकांक्षाओं को, शब्द नहीं बतला सकते  
 इन्हें परखना चाहो तो, पुतली की पुलकन देखो 
 
भाव ह्रदय के रुंधे कंठ से, अक्सर नहीं निकल पाते 
अगर इन्हें पढना हो, तो फिर होंठों की फडकन देखो
 
अनुवाद नयन की भाषा का, नहीं हुआ सम्भव अब तक,
क्या कहती रतनारी आँखें,  दिल की  धड़कन  छू  देखो 
 
बादे झूठे, रस्में झूठीं, दिखी सभी करतूतें झूठी ,
दुनिया में यदि रहना है, तो अपने मन की अड़चन देखो 
 
श्रीप्रकाश शुक्ल 


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