Saturday 28 April 2012

करना होगा लेकिन प्रयास


यद्यपि सर्वथा असंभव है, प्रतिबंधित करना वायु वेग,
   पर प्रज्ञा से जीवन तरनी का, पाल मोड़ सकते हैं हम
      सम्भव है असफलता आकर, लक्ष्य द्वार पर दस्तक दे,
         पर धैर्य और साहस बटोर, अवरोध तोड़ सकते हैं हम


विषम परिस्थितियों के धागे, जाते उलझ सहज जीवन में,
   पर संयम से गिरह खोल, बंधन सुलझाये जा सकते हैं
     अभिलाषित मंजिल जब भी, होती दिखे पहुँच के बाहर,
       तृषित काक की तरह ढूंढ, संसाधन लाये जा सकते हैं

निष्क्रिय जीवन यापन, कोई जीने की रीति नहीं,
  हरकत से ही बरकत है, यह सूत्र सदा रंग लाया है
    सतत प्रयत्नों के रहते, हर इक उपलब्धि सम्भव है,
      आलसी व्यक्ति ने रो रोकर, होनी को दोषी ठहराया है


दृण संकल्प धार कर जो भी, कर्म क्षेत्र में जाएगा
  निश्चित है परिमाण अपेक्षित, निकल अंतत: आएगा
    करना होगा लेकिन प्रयास, तब ही कुछ बन पायेगा
      सोते हुए सिंह मुख में, मृग-शावक कभी न जाएगा

श्रीप्रकाश शुक्ल



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