Tuesday 11 October 2011

सहायक सन्दर्भ : ऐसा मानते हैं कि नारियल, मक्खी और ईख विश्वामित्र द्वारा सृजन की हुयी हैं |


निकास


पंथ अवरोधित हो जब,
आँखें दिखाएँ और
गुर्राएँ दिशाएं,
हार मत,
देख मत
मुड़कर कभी,
सामर्थ सारी
झोंक दे ,
अवरुद्ध पथ को चीर कर
निर्माण कर तू
नयी राहें
भूल मत तू अंश किसका ?
निर्जल किया
सारा उदधि,
मात्र एक अंगुष्ठ से |
प्रक्षेपित
त्रिशंकु को किया
सहज दिव्य दृष्टि से
प्रारंभ की, दुनिया नयी
जब दी चुनौती ब्रह्म को
ईख, माछी, नारियल,
अब भी जताते चिन्ह वो
शक्ति सारी है निहित,
आज तेरे आत्मबल में
क्षीण मत कर तेज वो
प्रारब्ध के निर्मूल  पल में 

श्रीप्रकाश शुक्ल

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