Saturday 23 October 2010

गाँधी के देश में


ईश की असीम कृपा, हमको जो जन्म दिया,
     सारे जगत को छोड़, गाँधी के देश में,
         स्वयं से मिलन का कितना सुगम पथ,
               मिलते यहाँ वो, दीन दुखियों के वेश में,

गाँधी का देश, एक ऐसा अनूठा देश,
    जीवन के मूल्य जहाँ पाते हम जन्म जात
         औरों के दुःख- दर्द, हमको रुलाते यहाँ,
              औरों की खुशिया बनें, अपनी सुखद सौगात

सत्य का समर्थन यहाँ, मन में स्फूर्ति भरे,
    सत्य की राह यहाँ, जीवन पथ प्रशस्त करे
        सत्य का ही आग्रह यहाँ, हमारी समूची शक्ति,
             हिंसा को तिलांजलि पूर्ण, सद्भाव आश्वस्त करे

अपराध ही रहा त्याज्य, हर समय हमारे यहाँ,
     अपराधी को भ्रमित मान, हम क्षम्य माने सदा
        व्यक्ति जो दिखाई दिया, पंक्ति अंत में खड़ा,
             चिंता का विषय, सबका, वही रहा सर्वदा

गाँधी के दर्शन से प्रकाशित हो, ज्योति जो ,
    जलती रही बेहिचक, उलटी हवाओं में
         मानवता का पाठ अब सिखाएगी जगत को वो,
             सद्भाव की सुरभि भर, सभी दिक दिशाओं में

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