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Bikhari Anubhutiyan
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अधिकांशतः ऐसी रचनाएं पढ़ीं जहाँ यह बताया गया कि सास...
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२८ साल पहिले अपने एक मित्र निर्मल कुमार दुआ से बात...
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एक दिन सरिता विहार डिस्ट्रिक्ट पार्क में बैठा सोच ...
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२४ अप्रैल २०१० को इ-कविया मंच के सह -संचालक श्री र...
कविता लिखने के पहिले एक विचार आया कि रचनाएँ कैसी ह...
कुछ दिन पहिले लन्दन के ही एक उद्द्यान में घूमते हु...
कविता लिखने की क्रिया अचानक ही शुरू हुयी. मेरे मित...
दिसम्बर २००९ के माह में मनोज, रधिका, माहिका तीन सप...
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कुछ दिनों पहिले मन उदास सा था .अनेकों उलझनों के बी...
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वंदन उस आराध्य का,महिमा अगम अपार | वरद हस्त हो शीश पर विनसे कलुष विकार || करूँ याचना कृपा की,निर्मल करो स्वभाव | दंभ,दर्प,अभिमान तज,उपजे मन सद्भाव ||
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