Friday, 29 April 2022
एक अंगारा
एक अंगारा कि जिसमें हो धधकती आग,अपने देशहित कुछ कर गुजरने की
वही निष्क्रिय करेगा तिमिर नफरत का, जगाकर चाहतें सद्भाव भरने की
विचारों की विषैली फसल ऐसी उगरही है, देश के हर एक कौने में
जिसको सींच कर,परिपक्व कर, है होड़ सब की, फित़रतें भदरंग करने की
तल्लीन हैं, अनगिन तथाकथ बुद्धिजीवी स्वयं के स्वार्थहित, जनता भ्रमित करने
चाहिए बस एक अंगारा, जो ग़ंगापुत्र सी ले प्रतिज्ञा, एकता अक्षुण्य रखने की
हमारे पूर्वजों ने सतत ही मातृत्व का दर्जा नवाजा देश की अस्मिता को
बन्धुत्व के इस भाव से ही हम सदा तत्पर रहे, ले चाहतें एकबद्ध करने की
देखता विस्मय से "श्री" घातक है कितनी लालसा वर्चस्व की, जो घ्रणा को जन्म देती
हम चाहते, लेकर सभी को साथ सच की राह चल आश्वस्तता से शिखर चढ़ने की
श्रीप्रकाश शुक्ल</i>
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