Tuesday 21 December 2021

 जीवन में कैसे अर्थ भरें ?

हम स्वतंत्र भारत के वासी अपना भाग्य स्वयं लिखते हैं
फिर क्यों द्वेष घृणा के पौधे हर घर में पलते दिखते हैं
जैसे जैसे हम बड़े हुए, साथी सद्भाव साथ छोड़ता गया
माल्यार्पण सुख का लालच उजले सम्बन्ध तोड़ता गया
अपनत्व भरे सुखमय अतीत की यादें मन में वाकी हैं
चारो ओर भीड़ उमड़ी है फिर भी जीवन एकाकी है
किसी अधर पर नहीं दिखी,चिंता मुक्त हंसी अब तक
अवसादों के सागर में डूबा,गुजरेगा ये जीवन कब तक
जीवन का अपना अर्थ न होता, अर्थ डालना होता है
जीवन तो मात्र एक अवसर है, खुद संभालना होता है
सांसों को नयी सृजनता दो, व्यर्थ न यों बरबाद करो
नाचो गाओ, गीत रचो, खुद को खोजो, प्रभु ध्यान धरो
श्रीप्रकाश शुक्ल
Syed Z Haider, Manju Tyagi and 5 others
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