होली खेलत रे नंद लाल
होली खेलत रे नंद लाल जमुन तट होली खेलत रे
बरसाने में पहुँच गए सब जोर जोर ग्वालिन टेरत रे
सांठ गाँठ सखियन में है रहि पकरों आज नन्द को छोरो
लाल गुलाल गालन पै मलहों करिहों कारे तै गोरो
कान्हा चीनत सगरी चतुराई, कोई नाहि बच है अज कोरो
दधि मट किन् में रंग भरावत साथ में कीचर घोरो
ग्वालवाल समुझाय दये हैं लपक झपक सब घेरत रे
होली खेलत रे नंद लाल जमुन तट होली खेलत रे
श्रीप्रकाश शुक्ल
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