केसरिया लाल पीला, नीला हरा गु लाबी.
आया होली का त्यौहार,घर घर गूँज उठी ये बोली
छोडो छुटपुट खटपट भैया जो हो ली सो हो ली
सभी रंग के संग हमारे, बढ़कर एक एक से प्यारे
आओ मिलकर नाचें गायें रंग रास के बन हमजोली
नीला हरा गुलाबी.पीला, रंग भर अंग केसरिया लाल
प्रकृति सुंदरी नाच रही है,नचें साथ पशु पंछी टोली
तनकर खड़े हुए गेहूं जौ,रोज सोचते हैं मन ही मन
मटर सयानी मदमाती मन, पाऊँ कैसे इसकी डोली
हर मानव का धर्म यही है जियें प्यार से अरु जीने दें
जीने की इक राह दिखाता,हंसी ख़ुशी का ढंग है होली
''होली की हार्दिक शुभकामनाएं''
श्रीप्रकाश शुक्ल
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