नया आज इतिहास लिखें हम
मनु युग से जो भी वृतांत लिख, हमने अपने ग्रन्थ संवारे
कल युग के इस दुराचरण में, आज पड़े बेबस बेचारे
राक्षसी प्रकृति कैसी भी थी, कुछ तो मर्यादा रक्षित थी
चौदस बरस अकेले में भी, अबला अस्मिता सुरक्षित थी
इंसानों के घर जन्म लिया, हैवान नहीं इंसान दिखें हम
पूर्व वृत्त निष्फल दिखते, नया आज इतिहास लिखें हम
मानवता का कोष लुट रहा, हिंसा करती अघ अनाचार
अन्याय, आधियाँ उठा रहा है भीषण दारुण धुआंधार
लिपटी बिषधर की फुफकारों में दिखती है हर रजत निशा
असहाय, मूक, अंगार उगलती लगती है हर एक दिशा
क्यों उन्माद लूटता निष्ठा, बीभत्स बने क्यों, निरखें हम
पूर्व वृत्त निष्फल दिखते नया आज इतिहास लिखें हम
ये संकल्प आज करते हैं, लायें करुणा का सुधा कोष
विश्वास अचल दें संत्रस्तों को, अभयदान का हो उद्घोष
पौरुष, जो बैठा हारा हताश, उठ फिर से हो जाजुल्यमान
भरे सदाशयता मन में, हो मानवता का मांगल विहान
क्या विकल्प है आज अपेक्षित, कदम कदम पर परखें हम
पूर्व वृत्त निष्फल दिखते, नया आज इतिहास लिखें हम
श्रीप्रकाश शुक्ल
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