मैं प्रतीक्षा कर रहीं हूँ
बातें हुयी थी ढेर सारी,
समय असमय फोन पर
विषय भी बदले अनकों
बुक बदल पन्ने पलटकर
हर बार ही तुमको,
मेरी आवाज में माधुर्य सूझा
थे नहीं थकते कभी,
कहते न ऐसा सुना दूजा
चित्र भी मेरा सभी
परिबार के मन भा रहा था
सम्बन्ध बिलकुल ठीक है
हर कोई बतला रहा था
फिर पत्र इक पहुंचा
कि जिसमें जिक्र था
कुछ जरा सा ही ,
कुछ जरा सा ही ,
रिंग तो हीरे की होगी,
कार होगी आधुनिकतम
रंग हल्का हरा सा ।
पायी खबर दो माह
पहले विवाह तिथि के,
पहले विवाह तिथि के,
कैश भी तो है जरूरी,
क्या करें सम्मान
रखना बन गयी है
हमारी ,एक मजबूरी
जब से पिता श्री ने सादर,
असमर्थता बताई है
मैं प्रतीक्षा कर रही हूँ
न कोई रिंग, न कोई
SMS ही आयी है
SMS ही आयी है
श्रीप्रकाश शुक्ल
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