Tuesday, 12 February 2013


खड़ा मोड़ पर आकर फिर इक नया बर्ष है

बाँह पसारे , खड़ा मोड़ पर आकर फिर इक नया बर्ष है 
अपलक नयन युगल, पथ देखें,भरा दृष्टि अटपटा हर्ष है

आँखों के सन्मुख आ तिरते, जब परिदृश्य गए सालों के   
नैतिकता के अधम पतन के, निन्दनीय घोटालों के 
फसीं  दरिंदों के चंगुल में ,लडती  रहीं दामिनी  दम भर  
आश्वस्त करें कैसे  खुद को, तब आने वाले कल पर 

धुल धूसरित हैं सब सपने, थका  हुआ जीवनोत्कर्ष है  
बाँह पसारे , खड़ा मोड़ पर आकर फिर इक नया बर्ष है

सही दिशा जीवन की है पर, आशावान सदा ही रहना 
गत भूलों में कर सुधार,सुखद कल्पना सरि में बहना  
जन समूह में शक्ति बहुत है, नव निदान मिल जायेंगे  
हत उत्साह पार्थ जो बैठे, कर्म भूमि में फिर  आयेंगे  

बाहों में बल, तेशा हाथों में, चट्टानी भू, हाँ  संघर्ष है 
आओ बढ़ आलिंगन कर लें, खड़ा मोड़ पर नया बर्ष है 

तेशा :  कुदाली, crow bar 
श्रीप्रकाश शुक्ल 

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