मैं प्रतीक्षा कर रहा हूँ
यादेँ मधुर बीते दिनों की, आज करतीं हैं विकल
मैं प्रतीक्षा कर रहा हूँ काश आयें लौट वो पल
पल वो जब हमने सुनी थी, प्रीति से अभिषिक्त लोरी
आँचल हिंडोला सा रहा , बांधे रही मृदुहास डोरी
मैं प्रतीक्षा कर रहा हूँ काश आयें लौट वो पल
पल वो जब हमने सुनी थी, प्रीति से अभिषिक्त लोरी
आँचल हिंडोला सा रहा , बांधे रही मृदुहास डोरी
और ममतामय नियति, देती रही सुख की थपकियाँ
प्यार दुलराता रहा, पर था कठिन लेना झपकियाँ
संघर्ष रत थी साधना, थी जिंदगी सीधी सरल
प्यार दुलराता रहा, पर था कठिन लेना झपकियाँ
संघर्ष रत थी साधना, थी जिंदगी सीधी सरल
मैं प्रतीक्षा कर रहा हूँ, काश आयें लौट वो पल
फिर अचानक एक दिन, समय की जलधार छूटी
पल वो सुखमय बह गए, आशा समूची साथ टूटी
पल वो सुखमय बह गए, आशा समूची साथ टूटी
स्वप्न बन कर साथ अब रहतीं हैं सौगातें सभी
संभव नहीं गुज़रे हुए क्षण लौट कर आयें कभी
आस है गूंजे गगन और मेघ बरसायें सुफल
मैं प्रतीक्षा कर रहा हूँ काश आयें लौट वो पल
श्रीप्रकाश शुक्ल
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