चीनी घुसपैठ
चीनी घुस आये सीमा में, शासन पर प्रतिबन्ध अनेकों
अब यह दायित्व फौज का है, सबक सिखा बाहर फेंको
केवल शब्दों की दस्तक से, शर्मदार ही भय खाते हैं
जो चोला ओढ़े बेशरमी का, फन उनके कुचले जाते हैं
पर ये कैसे हुआ, कहाँ थे, निर्धारित सीमा प्रहरी
क्या दारू पीकर सोये थे, कर बैठे गफलत गहरी
या दुश्मन ने एक बार फिर, वही पुरानी चाल चली
भेज मेनकाएँ सीमा पर, सीमा रक्षक की बुद्धि छली
इतिहास साक्षी है इनकी निशदिन घुसपैठी चालों का
बाहर खदेड़ दो घुस आयें फिर, सर घूमे रखवालों का
लातों के भूत ना माने बातों से, हम नस पहचानते हैं
सेना सक्षम है हर प्रकार, कैसे निपटें, वो जानते हैं
फौजे विश्वास नहीं करतीं, छुप छुप फेंके हथकंडों में
करतीं प्रहार बस एक बार कम्पन उठता भू खण्डों में
अच्छा होगा यही कि दुश्मन करे आंकलन शक्ति का
शिष्टता न आंके फौजों की पर्याय नहीं अभिव्यक्ति का
श्रीप्रकाश शुक्ल
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