आ सिरहाने रख जाते हैं
आ घेरें जब दुःख के बादल, और परिस्थितियाँ पाषाणी,
ओझल हो जब किरण आश की,जगत प्रभू सुधि में आते हैं
वसुर्वसुमना, दिव्यशक्ति सुन, अपने प्रिय की दुखभरी पुकारें
सुलभ, सुगम साधन के सपने, आ सिरहाने रख जाते हैं
बहुधा अतिशय प्रिय अपने , नियत कर्म के अनुबंधों में
छोड़ ह्रदय में टीस अनकही, हम से दूर चले जाते हैं
पर जब पाते प्रीति प्रतिध्वनि टकराती अपने कानों में
गठरी बाँध, प्रेम सन्देशे, आ सिरहाने रख जाते हैं
शैशव के अनुरक्ति सने पल, चित्रित होकर मनस पटल पर,
धीरे धीरे रिसते रिसते, अंतर में आ, सो जाते हैं
जब असीम सुख की लहरें, लेतीं हिलोर जीवन सरि में,
मेघदूत , वो पल आँचल भर, आ सिरहाने रख जाते हैं
वसुर्वसुमना- सब प्राणियों के निवास स्थान एवं उदार ह्रदय वाले
श्रीप्रकाश शुक्ल
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