आजका दिन है राखी का
आजका दिन है राखी का, याद भाई की आयी है
किसी ने हाथ रख सर पर, पीठ जो थप थपाई है
पता भी चल नहीं पाया, कि कब आया गया सावन
न गेरू से रंगे गमले, न गोबर से लिपा आँगन
न झालर द्वार पर लटकी, न घरुये पर सजा सारंग
न पूरा चौक आटे से, न पाटे पर बिछा आसन
राखी जो पत्र में भेजी, अभी तक मिल न पायी है
आजका दिन है राखी का याद भाई की आयी है
किसी ने हाथ रख सर पर, पीठ जो थप थपाई है
न झूले कहीं दिखते, लटकते नीम पीपल पर
न कोई गीत बन गूंजा, किसी बिटिया का नन्हा स्वर
नज़र आता नहीं भाई कोई , राखी बंधाने को
कि धागा बाँध, भाई बहिन का रिश्ता निभाने को
कर्णवती ने हल्दी लगा, भेजी थी चिठ्ठी, जो हुमायूं को
भटक सारे शहर में, आज फिर वो लौट आयी है
आजका दिन है राखी का याद भाई की आयी है
श्रीप्रकाश शुक्ल
२४ अगस्त २०१०
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