कसौटी पर कँचन की लीक है
नैतिक मूल्यों का अवमूल्यन और प्रलोभन धन अर्जन का,
जन मानस के मनस पटल पर दीमक जैसा पौढ़ रहा है
छोटे-बड़े, पुरुष- महिला, शासक - प्रजा, सभी की रग में,
भृष्ट आचरण का विषाक्त बिष अविरल गति से दौड़ रहा है
विधि विधान के कड़े नियम भी, रोक सके ना ये प्रवृत्ति,
जो शनै शनै बढ़ते बढ़ते, जीवन शैली का अंग होगयी
सत्य अहिंसा के खम्भों पर आधारित भारत की छवि
बिगड़ी हुयी सोच के कारण सारे जग में व्यर्थ खो गयी
तिमिर कसौटी पर कंचन की एक चमकती लीक सरीखा ,
उत्प्रेरक जन आन्दोलन ही वांछित परिवर्तन लाएगा
होगा अपत्रस्त दुराचारी, दुस्साहस होगा चूर चूर ,
भरा हुआ पापों का घट भी निश्चय फूट बिखर जाएगा
श्रीप्रकाश शुक्ल
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Thursday, 5 July 2012
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