Wednesday 18 January 2017


शिवम् सुन्दरम् गाती है 

देश मेरा भारत ऐसा जहाँ परतीति निभाई जाती है 
प्रकृति सहचरी बन पुरुषों के जीवन में रस लाती है 

यहाँ विचारों की स्वतंत्रता मूलभूत अधिकार मिली है   
लड़ना भिड़ना बहस परस्पर समायोजना कहलाती है  

ऋतुएँ अनेक, त्यौहार अनेकों, रास रंग के ढंग विपुल, 
प्रकृति कांति से हुलसित वाणी 
 शिवम् सुंदरम गाती है  

मासों में मधुमास अकेला अनुराग मिलन के रंग भरे 
भरता मधुर विरह पीड़ा जो सहज ह्रदय उग आती है 

शिशिर गयी, पतझड़ बीता, तरु किसलय जब लाते "श्री"
फूली सरसों देख, कृषक जन मन में मस्ती छाती है 

श्रीप्रकाश शुक्ल 



2 comments:

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  2. सुन्दर शब्द रचना

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